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*🔴👉सिल्वर मिस्ट रिटेल प्राइवेट लिमिटेड ने सबसे पहले की थी शुरुआत*........*🔴👉 "दरियों से बेंच तक’’ 20 शालाओं को 405 बेंच किए गए वितरित*

नर्मदापुरम । गत दिनों सिल्वर मिस्ट रिटेल प्राइवेट लिमिटेड रेत कंपनी द्वारा जिला खनिज अधिकारी देवेश मरकाम के मार्गदर्शन में शासकीय प्राथमिक शाला मेहराघाट में 25 बेंच ओर डेस्क वितरित किए गए थे। जिसका मुख्य उद्देश्य था कि अब बच्चों को जमीन पर दरी पर बैठकर पढ़ाई नहीं करनी होगी बल्कि निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी बेंच पर बैठेंगे और सामने रखे अपने डेस्क पर अपनी किताबें रखेंगे। इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए इटारसी के एसडीएम  टी. प्रतीक राव ने  समाजसेवियों के सहयोग से इस सराहनीय पहल को आगे बढ़ाया और  तहसीलदार इटारसी शक्ति सिंह तोमर और विकासखंड शिक्षा अधिकारी केसला श्रीमती आशा मौर्य के संयुक्त प्रयासों से 20 शालाओं के लिए 405 बेंच वितरित किए गए। इस पहल में इटारसी के कई सम्माननीय समाज सेवियों और संस्थाओं ने योगदान दिया।जिनमें निपुण गोठी, सिरिश कोठारी, पवन अग्रवाल,  रोहित बवेजा, सावरिया ग्रुप, नीलम स्वीट्स, मेसर्स राघवेन्‍द्र सिंह, सिल्वर मिस्ट रिटेल प्राइवेट लिमिटेड, वेलोसिटी माईनिंग वर्क्‍स, वेयरहाउस तथा ऋषि इंटरप्राइज फर्नीचर शोरूम के स्‍वामी  मोहन खंडेलवाल शामिल हैं।कार्यक्रम के दौरान मुख्‍य अतिथि के रूप में उपस्थित अनुविभागीय अधिकारी श्री टी. प्रतीक राव ने कहा कि निरीक्षण के दौरान यह सामने आया कि प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थी फर्नीचर के अभाव में भूमि पर बैठकर अध्ययन कर रहे थे, जिससे उन्हें शैक्षणिक गतिविधियों के दौरान असुविधा का सामना करना पड़ रहा था। इस परिस्थिति में सुधार लाने का विचार तभी मन में आया और समाज के सेवकों के सहयोग से यह संकल्प पूरा हो सका है। इस प्रयास से विद्यार्थियों को न केवल बैठने हेतु बेंच उपलब्ध होंगी, बल्कि उनमें शिक्षा के प्रति रुचि और आत्मसम्मान की भावना में भी वृद्धि होगी।"समाजसेवी LKG समूह के संस्थापक  निपुण गोठी ने कहा कि गरीब बच्चों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित न रहने देने की यह पहल सराहनीय है। सिल्वर मिस्ट रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि  साकिब अहमद ने कहा कि उनकी कंपनी ने CSR फंड के अंतर्गत विद्यार्थियों के लिए बेंच एवं डेस्क की व्यवस्था की है।इस आयोजन ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि जब प्रशासनिक नेतृत्व और समाज का सहयोग एक साथ आता है, तो परिवर्तन केवल संभव ही नहीं, बल्कि स्थायी भी बनता है। विद्यालयों में बेंचों की स्थापना केवल बैठने की सुविधा नहीं, बल्कि बच्चों के लिए बेहतर सीखने के वातावरण, आत्मसम्मान और शिक्षा के प्रति नए बदलाव का प्रतीक है। यह अभियान लगातार जारी रहेगा और भविष्य में अधिक से अधिक विद्यालयों को बेंच प्रदान की जाएंगी।

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