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*💫🌈श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह का छटंवा दिवस*

नर्मदापुरम/इटारसी ।श्री सरस्वती सेवा समिति एवं गृह लक्ष्मी महिला समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के छटवे दिन व्यास गादी से कथा को विस्तार देते हुए कथावाचक पंडित देवेन्द्र दुबे ने रासलीला का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि रासलीला काम पर विजय की लीला है।रासलीला के मध्य गोपियों के अभिमान को मिटाने के लिये श्री कृष्ण,गोपियों के बीच से अंतर्ध्यान हो गए।श्री कृष्ण के विरह में गोपीगीत गाया और गोपीगीत के माध्यम से गोपियों के मनोभाव जानकर भगवान गोपियों के मध्य प्रगट हुए,फिर महारास हुआ।आगे भगवान ने सुदर्शन,शंखचूड़ और अरिष्टासुर नामक दैत्य का उध्दार किया।अक्रूर जी के साथ भगवान श्री कृष्ण,बलराम और नंदबाबा मथुरा आए, मथुरा के राजा कंस का भगवान ने अंत किया।श्री कृष्ण ने अपने माता पिता देवकी,वसुदेव और नाना उग्रसेन जी को कंस के कारागृह से मुक्त कराया।श्री कृष्ण-बलराम का यज्ञोपवीत संस्कार हुआ है और शिक्षा ग्रहण करने दोनो भाई(श्री कृष्ण और बलराम) अवंतिकापुरी(उज्जैन) सांदीपनि मुनि के आश्रम में आए हैं।चौंसठ दिनों में चौंसठ कलाओं को सीखकर भगवान ने गुरु दक्षिणा में अपने गुरु पुत्र को यमलोक से लाकर दिया। इसके पश्चात भगवान ने अपने मित्र उध्दव को वृन्दावन भेजा,उध्दव जी ने वापस आकर भगवान को सबके समाचार सुनाए।भगवान ने अपना पीताम्बर हटाकर अपने हृदय में सारे बृजमंडल के उध्दव को दर्शन कराए।भगवान श्री कृष्ण और जरासन्ध का युध्द हुआ फिर भगवान ने भीमसेन के हाथों जरासन्ध का वध कराया।छठे दिवस की कथा के समापन से पूर्व भगवान श्री कृष्ण और रुक्मिणी का विवाह कथा के साथ साथ झांकी के माध्यम से भी श्रोताओं को वर्णन किया।कथा स्थल पर विवाह गीत गाए गये खूब नृत्य ,संगीत हुआ। मुख्य यजमान के साथ साथ श्रोताओं ने भी वर-वधू के रुप में विराजित भगवान श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी का पूजन किया ,पैर पुजाई की।भगवान श्री कुंज बिहारी की आरती के साथ छटवे दिन की कथा का समापन हुआ।कथा वाचक पंडित देवेन्द्र दुबे ने भी सपत्नीक भगवान श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी का पूजन किया

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