(चन्द्रशेखर बाथव)
नर्मदापुरम/सिवनीमलवा। राजस्व अभिलेखों के शुद्धिकरण अभियान के दौरान एक सजग पटवारी की सतर्कता से भूदान भूमि के अवैध क्रय-विक्रय का बड़ा मामला उजागर हुआ है। जांच के आधार पर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने करोड़ों की भूमि के सभी विक्रय पत्रों को शून्य घोषित कर दिया है।मामला ग्राम झाड़बीड़ा का है, जहां हल्का पटवारी द्वारा पुराने और नए रिकॉर्ड के मिलान में पता चला कि खसरा नंबर 798 (4.565 हे.) और 799 (1.619 हे.) की भूमि पहले “भूदान धारी” मद में दर्ज थी, जिसे बिना सक्षम अधिकारी के आदेश के बदल दिया गया। इसी बदलाव का फायदा उठाकर विक्रेताओं ने कलेक्टर की अनुमति के बिना भूमि के टुकड़े कर बेच दी।
*क्रेताओं का पक्ष:*
खरीदार दीपक बाथव, सविता बाथव, रामकिशोर लौवंशी और अंजू लौवंशी ने न्यायालय में कहा कि उन्होंने भूमि खरीदते समय रिकॉर्ड में विक्रेताओं के नाम भूमिस्वामी के रूप में देखे थे।उन्होंने बताया कि तत्कालीन पटवारी ने भूमि को “भूमिस्वामी हक” की बताते हुए प्रमाण पत्र व नक्शा भी दिया था। वे वर्षों से भूमि पर कृषि कार्य कर रहे हैं।
*एसडीओ न्यायालय का निर्णय*
दोनों पक्षों की सुनवाई और पटवारी की रिपोर्ट के अध्ययन के बाद न्यायालय ने कहा कि भूदान भूमि का विक्रय बिना कलेक्टर अनुमति अमान्य है। इस आधार पर सभी विक्रय पत्र शून्य घोषित किए गए और संबंधित खसरों का रिकॉर्ड पूर्ववत “भूदानधारी” मद में सुधारने के आदेश दिए गए।साथ ही, न्यायालय ने पाया कि भूमि विक्रय और नामांतरण प्रक्रिया के दौरान तत्कालीन पटवारियों श्रीमती शैली धुर्वे, श्रीमती संजूसिंह राजपूत, देवीशरण पटेल और रामभरोस धनवारे की भूमिका संदेहास्पद रही। इन सभी के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई के लिए प्रकरण कलेक्टर नर्मदापुरम को भेजा गया है।
पूरे प्रकरण में वर्तमान हल्का पटवारी की कार्यकुशलता और सतर्कता की व्यापक सराहना की जा रही है, जिनकी जांच से भूदान भूमि के बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश संभव हुआ।
