नर्मदापुरम | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर नर्मदापुरम में विशाल पथ संचलन का आयोजन किया गया। एसएनजी स्टेडियम से प्रारंभ होकर शहर के मुख्य मार्गों — विवेकानंद घाट, मीनाक्षी चौक, एकता चौक होते हुए संचलन पुनः स्टेडियम पर समाप्त हुआ। घोष की ताल पर 1500 से अधिक स्वयंसेवक कदमताल करते हुए आगे बढ़े।
रास्ते भर भारत माता की जय, वंदे मातरम् और जय श्रीराम के उद्घोष गूंजते रहे। शहरवासियों ने स्थान- स्थान पर पुष्प वर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया।
*दादा गुरु बोले— “धर्म का पालन करने वाला ही सच्चा स्वयंसेवक”*
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अखंड निराहार समर्थ सद्गुरु अवधूत सिद्ध महायोगी दादा गुरु उपस्थित रहे। उन्होंने कहा—“स्वयं सेवक वह है जिसके चित में ऊंच-नीच, जात-पात का भाव नहीं। जो एक परिवार, एक संस्कृति और एक ध्वज के नीचे सबको जोड़ता है। धर्म की अभिव्यक्ति चरित्र है और यही हिंदू समाज का आधार है। विश्व के कल्याण की भावना जिसके भीतर है, वही सच्चा स्वयंसेवक है।”उन्होंने कहा कि संघ की शाखा व्यक्ति निर्माण की अद्भुत पद्धति है, जो समाज में अनुशासन, संस्कार और राष्ट्रभाव का संचार करती है। आज पूरी दुनिया भारत की संस्कृति की ओर देख रही है और भारत के सनातन मूल्य विश्वभर में स्वीकार किए जा रहे हैं।संघ के विभाग प्रचार प्रमुख संतोष नौरिया ने कहा— “यह अवसर उत्सव का नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, समाज के प्रति आभार और राष्ट्र निर्माण के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करने का है।”मुख्य वक्ता विभाग प्रचारक नरेंद्र यादव ने कहा कि भारत में परिवर्तन पंच परिवर्तन— कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, स्वदेशी भाव, पर्यावरण संरक्षण और नागरिक शिष्टाचार के माध्यम से आएगा। उन्होंने बताया कि आने वाले वर्ष में संघ का कार्य ग्रह संपर्क अभियान, सामाजिक सद्भाव कार्यक्रम, शालेय व युवा गतिविधियों के माध्यम से व्यापक रूप से संचालित किया जाएगा।
*👉नर्मदापुरम में 1937 में शुरू हुई थी पहली शाखा*
नर्मदापुरम में संघ का इतिहास 1937 से जुड़ा है, जब परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार ने बाबा आप्टे और त्रांबक जी के साथ मिलकर यहां पहली शाखा प्रारंभ की थी। दो माह बाद डॉक्टर साहब जब लौटे तो 60 स्वयं सेवक दंड सहित उपस्थित थे — यहीं से शाखा परंपरा का बीज अंकुरित हुआ।