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*🔴👉रेशम उत्पादन से बदली किस्मत*......*🔴👉ग्राम गूजरवाड़ा की श्रीमती सुमनबाई मजदूरी छोड़कर बनी लखपति दीदी*

नर्मदापुरम/ विकासखंड माखननगर के ग्राम गूजरवाड़ा निवासी श्रीमती सुमनबाई/ नारायण यादव ने रेशम उत्पादन से अपनी मेहनत और लगन के बल पर अपनी पारिवारिक स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है। कभी मेहनत मजदूरी कर परिवार चलाने वाली  सुमनबाई अब शहतूती रेशम योजना के माध्यम से लखपति दीदी बन चुकी हैं।श्रीमती सुमनबाई वर्ष 2010-11 से रेशम विभाग की स्वावलंबन योजना से जुड़ी हुई हैं। योजना से जुड़ने के पूर्व उनकी पारिवारिक स्थिति काफी कमजोर थी और वे अपने छह बच्चों के साथ कच्चे खपरेल वाले मकान में जीवन यापन कर रही थीं।रेशम पालन गतिविधियों से जुड़ने के बाद श्रीमती सुमनबाई ने धीरे-धीरे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भरता हासिल की। अब उनके पास पक्का मकान है, उन्होंने अपनी तीन बेटियों की शादी कर दी है और दो बेटियां स्नातक की पढ़ाई कर चुकी हैं तथा घर पर रहकर रेशम उत्पादन में सहयोग कर रही हैं। उनके दो बेटे भी दसवीं एवं कॉलेज की पढ़ाई कर रहे हैं। सुमनबाई द्वारा चाकी कृमिपालन एवं उत्पादित ककून विक्रय कर आय अर्जित की जा रही है। उन्होंने वर्ष 2024-25 में ककून उत्पादन से 23,082 रुपये तथा चाकी कृमिपालन से 1,60,460 रुपये अर्जित कर कुल 1,83,542 रुपये की आमदनी प्राप्त की है। आज वे और उनके जैसी कई महिलाएं रेशम पालन गतिविधियों से जुड़कर घरेलू कार्यों के साथ-साथ तीन लाख रुपये तक की वार्षिक आय अर्जित कर रही हैं।सुमनबाई बताती हैं कि रेशम पालन से जुड़ने के बाद अब उन्हें मजदूरी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता है। रेशम उत्पादन से होने वाली आय से वे परिवार के सभी सदस्यों का पालन-पोषण अच्छे से कर पा रही हैं और समाज में आत्मनिर्भर महिला के रूप में एक मिसाल बनी हुई हैं।

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