जंगली जानवरो का खौफ और दुर्गम रास्ता भी जब आडे नही आये ,,और बुधनी वन परिक्षेत्र की सबसे ऊची पहाडी पर कर दिया जबर्दस्त वृक्षारोपण
सामान्य वन मंडल के बुधनी वन परिक्षेत्र की सराहनीय पहल
नर्मदापुरम्/बुधनी(नेहा मालवीय)।मध्यप्रदेश के सिहोर जिले की बुधनी तहसील मे सामान्य वन मंडल के बुधनी वन परिक्षेत्र मे अधिकारियों और वन कर्मियों के जुनून और हौसलों को देखते ही बनता है।यहा पर पीली करार के समीप सबसे ऊचाई वाली पहाडी पर इन वनवीरो ने शानदार पौधारोपण किया करके यह साबित कर दिया कि इंसान मे यदि कुछ करने का जज्बा और हौंसला हो तो उसके लिये हर मंजिल तय करना आसान है। आपको बता दे कि सिहोर जिले के डीएफओ डाॅ अनुपम सहाय एव एसडीओ मनोज भदौरिया के कुशल मार्गदर्शन मे बुधनी वन परिक्षेत्र अधिकारी रामकुमार और उनकी टीम ने कडी मशक्कत से और जंगल की पहाड़ी क्षेत्र मे हरियाली लाने के जुनून के चलते इस चुनौती को स्वीकार कर बंजर भूमि को भी हरियाली से पाट दिया है।बताया जा रहा है कि जिस जगह यह वृक्षारोपण किया गया है वह बुधनी वन परिक्षेत्र की सबसे ऊचाई वाली पहाडियों मे शुमार है जहा पहुचना आसान नही है। कच्चे और दुर्गम रास्तो से चलकर टेंकरो से पानी पहुचाकर इस पहाडी वन क्षेत्र को हरियाली मे तब्दील कर दिया गया है।बताया जा रहा है कि जिस स्थान पर यह वृक्षारोपण किया गया है वहा पर पानी सहित अन्य संसाधन पहुचाना उतना आसान नही था।समुद्र तल से उक्त पहाडी की ऊंचाई लगभग 1968 फीट बताई जा रही है ।वन परक्षेत्र अधिकारी रामकुमार बुधनी सामान्य वनमंडल बताते है कि आर एफ,626 और 627 मे लगभग 100 हेक्टेयर मे मिश्रित प्रजाति के 68,750 पौधो का रोपण किया गया है। जिस जगह पौधारोपण किया गया वह समतल पथरीली,और दोमट मिटटी की भूमि है।1 लाख 5 हजार के करीब पौधो के रोपण का लक्ष्य था जीआईएम और ईएसआईपी योजना के तहत यह रोपण किया गया है। श्री रामकुमार बताते है कि सबसे बडी बात तो यह है जब वृक्षारोपण किया जा रहा है था उस समय भीषण गर्मी चल रही थी और बारिश को आने मे 10-15 दिन शेष थे।तब बीट गार्ड केशव सिंह बारेलाल और डिप्टी रेजंर पांडाखोह पीएन राठौर के द्वारा 22 किलोमीटर कच्ची रोड का निर्माण कराकर वृक्षारोपण स्थल तक पहुचने की वयवस्था की गयी।गौरतलब रहे कि इन पौधो को बडा होने के लिए पानी की कमी नही रहे इसलिए जल सरंक्षण के लिए 750 परकोलेशन टेकं पेडो के समीप बनाये गये जिनसे पौधो का सर॔क्षण होता रहे।वन विभाग की इस मेहनत के सार्थक परिणाम दो महीने मे दिखाई देने लगे ।जब मौके पर जाकर देखा गया तो लगाये गये पौधे काफी बडे दिख रहे थे,और घांस भी ऊग रही थी। रेजंर ने बताया की इस घांस को गौशाला मे दिया जा रहा है। वन विभाग के वे अधिकारी और कर्मचारी वाकई सम्मान के काबिल है जिनके हौसले और जुनून के परिणाम आज जमीनी स्तर पर फलीभूत होते दिखाई दे रहे है। एक तरफ विषैले जीव जन्तुओ का खौफ और दूसरी तरफ वन्य प्राणियो की आवाजाही के चलते यह कार्य किसी जुनून और चुनौती से कम नही था।