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सिहोर जिले के बुधनी में धूमधाम से मनाई गयी पोला अमावस्या

नर्मदापुरम्/बुधनी। सिहोर जिले की बुधनी तहसील मे पोला अमावस्या का यह त्यौहार जगह-जगह मनाया गया है।बताया जा रहा है कि बुधनी में भी यह त्यौहार 6- 7 पीढ़ियों से लगातार मनाया जा रहा है। और आज भी यहां के लोग बड़ी श्रद्धा और भाव से सुबह ही नर्मदा में स्नान करके लकड़ी के बैल बनाकर उसमें पहिये लगाकर रंग रोगन करके तैयार करते हैं, और महिलाएं भी एक दिन पहले से  पकवान बनाने की तैयारी करती हैं। और सुबह से ही घर को लीपापोती करके चौक पूर कर उन लकड़ी के बैलों को आसन दिया जाता है।तथा फूल माला पहनाकर तरह-तरह के पकवान बनाकर उनको भोग लगाया जाता है।और बच्चे भी बड़े उत्साहित रहते हैं। पूजन देखने में और पूजन करने में, पूजन के बाद बच्चे बुजुर्ग इन  लकड़ी के बैलों को जंगल में और जगह-जगह रोड पर भ्रमण कराते और घास खिलाने के अलावा घर में बने हुए पकवान भी उन्हें खिलाते हैं। और वापस शाम को फिर पूजन वाले स्थान पर छोड़ देते हैं, बुधनी के पुराने किसान के पुत्र सुजान विश्वकर्मा ने बताया कि हमारे पूर्वज पहले किसान थे जमीन अब हमारे पास नहीं है।लेकिन हमने तीन पीढ़ी से यह पूजन करते हुए देखा है और यह पूजन की परंपरा जारी रहेगी,और आज भी हमने तरह-तरह के पकवान बनाकर पूजन की है। और अब हम इन लकड़ी के बैलों को घुमाने जंगल ले जा रहे हैं।शाम को वापस आएंगे।गांव के राजेश मेहरा ने बताया कि हम बचपन से ही यह पूजन परिवार के साथ करते हैं।और बहुत अच्छा लगता है लेकिन मोबाइल में इस त्यौहार का सत्यानाश कर दिया अब बच्चों में वह रूचि नहीं रह गई है ।क्षेत्र के पूर्व पार्षद संजय शर्मा ने बताया कि पहले गांव में हर घर में पूजन होती थी।अब धीरे-धीरे यह परंपरा बंद होती जा रही है ।जिन लोगों के अंदर पूरा श्रद्धा भाव है। केवल वही लोग यह पूजन करते हैं, सरकार को ऐसे त्योहारों पर विशेष संयोग और अभियान चलाना चाहिए  क्योंकि यह हमारे देश प्रदेश की हरियाली से जुड़ा हुआ त्यौहार है इस और सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए।

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