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नर्मदापुरम् के इटारसी मे श्री बालकृष्ण जोशी विपिन का 61 वां पुण्य स्मरण 18 अगस्त को मनाया गया


नर्मदापुरम्। मध्य प्रदेश के प्रमुख गीतकार एवं नगर पालिका परिषद इटारसी के पूर्व ग्रंथपाल और जनशक्ति एवं जन संघर्ष साप्ताहिक समाचार पत्र के सह संपादक स्वर्गीय श्री बालकृष्ण जोशी विपिन का 61 वां पुण्य स्मरण 18 अगस्त को मनाया गया। नर्मदा पुरम पत्रकार संघ के अध्यक्ष एवं विपिन जोशी स्मारक समिति के संस्थापक संरक्षक प्रमोद पगारे ने प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी 18 अगस्त को प्रतिमा स्थल पर जाकर विपिन जोशी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। जिस गांधी वाचनालय में स्वर्गीय बालकृष्ण जोशी विपिन की प्रतिमा लगी है ।यहीं पर इन्होंने ग्रंथपाल के रूप में कार्य करते हुए अपनी पहचान बनाई थी। पिछले कुछ वर्षों से गांधी वाचनालय को बंद कर दिया गया है एवं उसके स्थान पर उद्योग विभाग का उप कार्यालय एवम एक कमरे मेंआधार कार्ड केंद्र खोल दिया गया है । वहां पर इतनी जगह है कि उद्योग विभाग का उप कार्यालय भी चल सकता है एवं आधार कार्ड का केंद्र के एक कमरे में है वह भी चल सकता है। पूर्व विधायक पंडित गिरजा शंकर शर्मा ने अपने कार्यकाल में गांधी वाचनालय को आधुनिक नए भवन में स्थापित किया था। यहां पर यदि पुस्तकें पढ़ने पेपर पढ़ने लोग नहीं आते हैं  तो ई लाइब्रेरी खोली जा सकती है। इस संबंध में विधायक डॉक्टर सीतासरन शर्मा एवम नगर पालिका के नव निर्वाचित अध्यक्ष निश्चित ही कोई सकारात्मक पहल करेंगे। स्वर्गीय श्री बालकृष्ण जोशी विपिन का जन्म 24 सितंबर 1930 को बड़वानी राज्य के मजिस्ट्रेट रामचंद्र जोशी के यहां पर हुआ था। उन्होंने कुछ समय तक बड़वानी में अध्यापक का कार्य किया ,उसके पश्चात स्वर्गीय माखन लाल चतुर्वेदी एक भारतीय आत्मा अपने समाचार पत्र साप्ताहिक कर्मवीर में सह संपादक के रूप में उन्हें खंडवा लेकर आए। बाद में विपिन जोशी को स्वर्गीय सुकुमार पगारे इटारसी लाए। एवं यहां पर उन्होंने अपने साप्ताहिक समाचार पत्र जनशक्ति में सह संपादक बनाया।  जनशक्ति बंद होने के बाद स्वर्गीय श्री करण सिंह तोमर ने विपिन जोशी को अपने समाचार पत्र साप्ताहिक जन संघर्ष का सह संपादक बनाया। इस पत्र के बंद होने के बाद नगर पालिका परिषद इटारसी ने उन्हें गांधी वाचना लय में ग्रंथपाल बनाया। उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1961 को भोपाल के हमीदिया अस्पताल में हुई ।उनकी कविता की पुस्तकें एवं विपिन जोशी पर केंद्रित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। जिसमें स्वर्गीय श्री करण सिंह तोमर,श्री विजय दुबे,श्री दिनेश द्विवेदी, स्वर्गीय श्री नत्थू सिंह चौहान ,सुधांशु मिश्र ,प्रमोद पगारे का अलग-अलग प्रकाशन में योगदान रहा है। विपिन जोशी एक कालजयी कवि थे ।उनको उन्हीं की रचना के साथ विनम्र श्रद्धांजलि:-मैं इतना असमर्थ नहीं हूं, बार-बार तकलीफ तुम्हें दू। गर तुमको असमर्थ दिखु तो, तुम में से आकर के कोई ,मुझे कृपा नहीं कंधा दे देना।

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