नर्मदापुरम। अमावस्या, शनि अमावस्या, साल का पहला सूर्य ग्रहण, शनि अपनी चाल में बदलाव करेंगे शनिश्चरी अमावस्या पर लग रहा सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार, दोपहर 2 बजकर 21 मिनट पर प्रारंभ होगा और शाम 6 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा. इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 53 मिनट की रहने वाली है।इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके पितरों के नाम का तर्पण और पिंडदान किया जाता है.
इस दिन दान और धर्म कर्म के कार्यों को करने का विशेष महत्व बताया गया है शनिवार के दिन पड़ने की वजह से इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है.
ऐसा माना जाता है कि इस दिन कुछ उपाय करने से शनि दोष कम हो सकता है और जीवन की परेशानियों से राहत मिल सकती है इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण है, लेकिन यह सूर्य ग्रहण भारत में मान्य नहीं होगा.
यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका में सबसे अच्छी तरह से देखा जा सकेगा जनरेटिव एआई की सुविधा फ़िलहाल एक्सपेरिमेंट के तौर पर उपलब्ध है।ऐसी मान्यता है कि नकारात्मक शक्तियां या अतृप्त आत्माएं अपनी अधूरी इच्छाओं को पूरा करने के लिए किसी पर भी शरीर पर हावी हो सकती हैं और अपना शिकार बना सकती हैं. इन शक्तियों का स्वभाव बहुत उग्र और क्रोधी माना गया है. इसी वजह से चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के रूप में जाना जाता है।दरअसल, चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में इस अमावस्या को बहुत खास माना जाता है मान्यता है कि भूतड़ी अमावस्या विशेष रूप से नकारात्मक शक्तियों से बचाव और आत्मिक शांति प्राप्त करने वाली मानी जाती हैहिन्दू धर्म में पूर्णिमा, अमावस्या और ग्रहण के रहस्य को उजागर किया गया है। इसके अलावा वर्ष में ऐसे कई महत्वपूर्ण दिन और रात हैं जिनका धरती और मानव मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उनमें से ही माह में पड़ने वाले 2 दिन सबसे महत्वपूर्ण हैं- पूर्णिमा और अमावस्या। पूर्णिमा और अमावस्या के प्रति बहुत से लोगों में डर है। खासकर अमावस्या के प्रति ज्यादा डर है। वर्ष में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या होती हैं। सभी का अलग-अलग महत्व है।